सरकारी सेवकों एवं उनके आश्रितों की चिकित्सा पर हुए खर्च का भुगतान (Medical Reimbursement form up) सरकार द्वारा किया जाता है। सरकार द्वारा किए गए भुगतान को ही चिकित्सा व्यय प्रतिपूर्ति कहा जाता है। इस सम्बन्ध में सही जानकारी न होने के कारण ज्यादातर सरकारी सेवक स्वयं अपने अथवा अपने आश्रितों के चिकित्सा व्यय के भुगतान का लाभ शासन के स्थापित नियमों के अंतर्गत प्राप्त नहीं कर पाते हैं।
हम अपने इस आर्टिकल के माध्यम से आपको चिकित्सा व्यय प्रतिपूर्ति ( medical reimbursement for state government employees ) का भुगतान प्राप्त करने से सम्बन्धित सम्पूर्ण जानकारी एवं नियम व आवेदन फार्म उपलब्ध करा रहे हैं।
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Medical Reimbursement किसके लिये प्राप्त कर सकते हैं ॽ
चिकित्सा व्यय प्रतिपूर्ति केवल सरकारी सेवक स्वयं यथास्थिति पति या पत्नी और (दो) माता-पिता, बच्चे, सौतेले बच्चे, अविवाहित तलाकशुदा परित्यक्त पुत्री, अविवाहित तलाकशुदा परित्यकता बहनें अवयस्क भाई और सौतेली माता के उपचार के लिए यह सुविधा मान्य होती है। उपरोक्त सभी आश्रित‚ सरकारी सेवक पर पूर्णतः आश्रित हों और सामान्यतः सरकारी सेवक के साथ ही निवास कर रहे हों।
सामान्यतः चिकित्सा व्यय प्रतिपूर्ति लाभार्थी के निवास या तैनाती के स्थान पर उपलब्ध कराई जाती है चाहे वह सरकारी चिकित्सालय, चिकित्सा महाविद्यालय में हो या किसी भी निजी चिकित्सालय (Medical Reimbursement for treatment in private hospital) में अगर सरकारी चिकित्सालय में वह सेवा उपलब्ध नही तो उपचारी चिकित्सक सरकारी पर्चे पर आपको उच्च चिकित्सा हेतु संदर्भित (रेफर) करेंगे।
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अगर नही है सरकारी अस्पताल का रेफर पर्चा ?
यदि आपातकालीन स्थिति में किसी निजी चिकित्सालय में उपचार की आवश्यकता है तो उपचारी चिकित्सक के द्वारा आपको आपात दशा प्रमाणित करने का अनिवार्यता प्रमाण पत्र उपलब्ध कराया जाएगा एवं रोगी द्वारा अपने कार्यालयाध्यक्ष (DDO) को यथाशीघ्र उपचार प्रारंभ होने के 30 दिनों के भीतर इस संबंध में सूचना देनी होगी।
Medical Reimbursement form pdf
Medical Reimbursement का दावा प्रस्तुत करने सम्बन्धी महत्वपूर्ण बिन्दु
Medical Reimbursement rules in hindi
- चिकित्सा दावा, चिकित्सा परिचर्या (प्रथम संशोधन) नियमावली, 2014 के द्वारा निर्धारित परिशिष्ट-ग पर प्रस्तुत किया गया है अथवा नहीं। किसी अन्य प्रारूप या किसी अन्य तरीके से चिकित्सा दवा का आवेदन मान्य नहीं होता। चिकित्सा दावा निर्धारित प्रारूप पर ही प्रस्तुत करना होगा।
- निर्धारित प्रारूप पर स्वास्थ्य पत्रक (Health card) पर उपयुक्त जगह पर परिवार के फोटो को अपने कार्यालयाध्यक्ष (DDO) से सत्यापित और प्रतिहस्ताक्षरित कराना आवश्यक होगा।
- चिकित्सा दावा आवश्यक रूप से नियम 16 के तहत निर्धारित तीन माह की समयावधि के अंतर्गत प्रस्तुत किया जाना चाहिए। अगर तीन महीने के अंदर दावा प्रस्तुत नहीं किया जा सका है तो विलंब का कारण स्पष्ट करते हुए विभागीय सचिव शासन स्तर से अनुमोदन प्राप्त करते हुए दावा प्रस्तुत किया जाए।
- चिकित्सा दावे के साथ डिस्चार्ज समरी, ओपीडी पर्चा, रेफरल लेटर (संदर्भ पत्र ) उपचार परामर्श पत्र और उपचारित चिकित्सक द्वारा मुहर सहित विधिवत सत्यापित बिल वाउचर मूल रूप में दावे के साथ संलग्न करने होंगे।
- निर्धारित प्रारूप पर बहिरंग उपचार / ओपीडी उपचार के लिए अनिवार्यता प्रमाण पत्र ए (Essentiality Certificate A) और अंतरंग उपचार भर्ती होकर इलाज के लिए अनिवार्यता प्रमाण पत्र बी (Essentiality Certificate B) भी उपचारी चिकित्सक द्वारा विधिवत हस्ताक्षरित एवं चिकित्सालय के प्रभारी अधीक्षक द्वारा मोहर सहित प्रति हस्ताक्षरित किया जाना चाहिए।
- अगर चिकित्सा दावा आश्रित से संबंधित है तो उस आश्रित का प्रमाणपत्र भी दावे के साथ लगाना होगा कि आश्रित किसी सरकारी सेवा में अथवा पेंशनभोगी नहीं है या उस आश्रित का आय का अपना कोई साधन नहीं है।
- संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ, डा० राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, गोमती नगर, लखनऊ, आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, सैफई, इटावा, किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ और ऐसे अन्य समान सरकारी पोषित संस्थानों में उपचार प्राप्त करने पर यदि लाभार्थी उक्त संस्थानों के चिकित्सा अधीक्षकों द्वारा सम्यक्त रूप से हस्ताक्षरित / सत्यापित बीजकों की कुल धनराशि की पाँच प्रतिशत धनराशि को वहन करने में सहमत हो, तो ऐसी स्थिति में उपर्युक्त बीजकों का शेष 95% प्रतिशत धनराशि का भुगतान सरकार द्वारा किया जायेगा और ऐसे बीजकों का मुख्य चिकित्सा अधिकारी या कोई अन्य प्राधिकृत अधिकारी द्वारा सत्यापित / प्रतिहस्ताक्षरित किये जाने से छूट प्रदान की जायेगी। यदि लाभार्थी बीजकों की पाँच प्रतिशत धनराशि वहन करने में असहमत हो, तो चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के सक्षम प्राधिकारियों द्वारा बीजकों को सत्यापित और प्रतिहस्ताक्षरित किये जाने के पश्चात ही उक्त संस्थानों के चिकित्सा बीजकों का मुगतान पूर्वतर नीति के अनुसार किया जायेगा।
- उल्लिखित चिकित्सालयों में चिकित्सा होने की स्थितिमें सम्बन्धित के चिकित्सा अधीक्षकों द्वारा हस्ताक्षरित / सत्यापित बीजकों की कुल धनराशि की पाँच प्रतिशत धनराशि का वहन स्वंय करने हेतु लाभार्थी द्वारा सहमति पत्र दिया गया है अथवा नहीं।
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पेंशनरों को चिकित्सा व्यय की प्रतिपूर्ति
दावा सेवानिवृत्त कार्मिकों से सम्बन्धित होने की स्थिति में शासनादेश सं0-12/2015/ ए-1-544/दस-2015-10(6) / 90, दिनांक 31.07.2015 की व्यवस्थानुसार वांछित विवरण यथा पी०पी०ओ० संख्या, बैंक खाता संख्या, बैंक का नाम एवं शाखा, बैंक का आई०एफ०एस०सी० कोड (IFSC CODE) एवं जनपद तथा कोषागार का नाम जहाँ से उनकी पेंशन आहरित की जा रही है, सम्बन्धी विवरण साक्ष्य सहित दावे के साथ संलग्न किये गये हैं अथवा नहीं।
इन सबको मूल रूप में दावे के साथ जमा कराना होगा पेंशनर उस जिले के कार्यालय अध्यक्ष को अपना दावा प्रस्तुत करेंगे जहाँ से वह पेंशन आहरित कर रहा है पर यदि जहाँ ऐसा कोई कार्यालय नहीं है तो उस जिले का जिला मजिस्ट्रेट पेंशनर का कार्यालय अध्यक्ष होगा।
उपचार के दौरान मृत सरकारी सेवकों के Medical Reimbursement दावों का भुगतान उनके परिवार के सदस्य को दिया जाता है। अतः भुगतान पारिवारिक सदस्य होने के सम्बन्ध में विधिक अभिलेखीय साक्ष्य संलग्न होना आवश्यक है।
चिकित्सा प्रतिपूर्ति फॉर्म (Medical Reimbursement Form) To Download /Save Click Here
Medical Reimbursement related GO’s
तात्कालिक / आपातकालीन स्थिति में निजी चिकित्सालयों में उपचार के संबंध में स्पष्टीकरण
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